रॉयल एनफील्ड इंडिया के प्रीमियम बाइक सेगमेंट का बेताज बादशाह इसमें कोई डाउट नहीं है। 250 सी सी से ऊपर के इंजन की जो गाड़ियां है, बाइक्स है उसमें 19 3% सेल अकेला रॉयल एनफील्ड करता है। अपने आसपास की कंप्यूटर की तुलना में सबसे ज्यादा है। मार्जिन वो रखता है लेकिन ऐसा कहते है ना की ज्यादा कमाओगे इतना नजर लग जाएगी जहाँ शहद होगा वह मधुमक्खी भी आएगी तो इस प्रीमियम बाइक के जो सेगमेंट है।
इसमें नजर लग गई है हीरो की बजाज की। यह पहले सेगमेंट से थोड़ा दूर रहे थे, तगड़े प्रयास नहीं गए थे, लेकिन अबकी बार ये पूरी तैयारी के साथ आए।
किस प्रीमियम सेगमेंट में घुस के दिखाएंगे?
हीरो ने हार्ले डेविडसन के साथ टाई अप किया है और एक कॉम्बिनेशन में बाइक निकाली है 440 एक्स करके और बजाज ने लंडन की टाई अप किया है और उसने भी स्पीड 400 करके एक बाइक और निकाल दिया और ये दोनों काम हुए 3 जुलाई और 5 जुलाई को। और इसी चक्कर में आइशर मोटर, जो की रॉयल एनफील्ड की पेरेंट कंपनी है, उसका शेयर एक ही दिन में 6% टूट गया और 5 दिन तक टूटते टूटते साढ़े 12% टूटा। कुछ समय बाद रिकवरी करके 5.5 पे भी आगया। अब नयी डिबेट ये चालू हुई है की बड़े बड़े प्लेयर्स से ही रोड बजाज ने हाथ में ला लिया है। क्या ये दोनों मिलके रॉयल एनफील्ड की बादशाहत को चुनौती दे पाएंगे? दूसरा सवाल आता है आखिर ये प्रीमियम बाइक सेगमेंट में घुसने का प्रयास ही क्यों कर रहे है? चल तो रहा है इनका काम, दूसरी बाइक बेच के यहाँ पे इनको आना ही क्यों है? और रॉयल एनफील्ड इतना ताकतवर बना तो बना कैसे? इन सभी सवालों का जवाब मिलेंगे
इंडिया के मोटरसाइकिल मार्केट को समझते।
इसको तीन सेगमेंट में बांटा जाता है एक होता है एंट्री लेवल सेगमेंट जहाँ पे 76 सी सी से लेके 100 सी सी तक की बाइक्स आती है। 2018 में इसका मार्केट शेयर 59% था। सेकंड सेगमेंट आता है कंप्यूटर जिसमें 110 सी सी से डेढ़, 100 सी सी की बाइक आती है। इसका मार्केट शेयर 26% था और 3rd नंबर पे आती है। प्रीमियम बाइक है जो डेढ़ 100 सी सी से ऊपर की बाइक है। इसका मार्केट शेयर मात्र 14% था। ये आंकड़े है 2018 के लेकिन 2023 यानी 5 साल बाद की बात करे तो यहाँ आंकड़ा कैसे चेंज हुआ? एंट्री लेवल जो 59 था वो 8% घटके 50 वॅन रहेंगी।
मिडिल वाला जो सेगमेंट है वो 26 से बढ़के 30 आ गया और प्रीमियम सेगमेंट 14 से 18 आ गया। इसका मतलब जो एंट्री लेवल की बाइक है उसपे लोगो का रुझान कम हो रहा है मिडिल वाला जो सेगमेंट है वो 26 से बढ़के 30 आ गया और प्रीमियम सेगमेंट 14 से 18 आ गया। इसका मतलब जो एंट्री लेवल की बाइक है उसपे लोगो का रुझान कम हो रहा है और प्रीमियम पे ज्यादा बढ़ रहा है। कंप्यूटर पे ज्यादा बढ़ रहा है।
आखिर ऐसा हो क्यों रहा है समझते?
पहला कारण है इन्क्रीज़, डिस्पोजबल इन्कम। धीरे धीरे भारत की इकॉनमी बढ़ रही है। प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ रही है। उस चक्कर में लोगों के पास पईया पैसा हाथ में आ गया है और अब उनके पैकेज वो 15 – 20,000 वाले नहीं रहे। अच्छे पैकेजेस होने लग गए तो लोग एंटी लेवल की जगह प्रीमियम में ज्यादा दिमाग लगा रहे है।
दूसरा है लाइफ स्टाइल में भी चेंज आ गया। पहले लाइफ स्टाइल थी की भैया कम खाओ और भविष्य के लिए बचाओ। अब जो लाइफ स्टाइल है ये लो यू लाइव ओनली वॅन्स जिंदगी ना मिलेंगे दोबारा जो मज़े करना है, अभी कर लो,
तीसरा डिमँड फॉर है। क्वालिटी अब ब्रांडी की डिमॅड बढ़ने लग गयी। पहले पताशी ठेले पे खा लेते थे। अब तो मॉल में पन्नी पेन की खानी है। जब तक तो भैया अब छोटी मोटी भाई की नहीं लेंगे। हमको तो बढ़िया चीज़ चाहिए। टेक्नोलॉजिकल अडवांस चाहिए, हमको सेफ्टी चाहिए। इसी चीज़ को अगर आप देखोगे गाड़ी में फोर व्हीलर में तो जो एंट्री लेवल कार थी,
मारुति आल्टो इनकी सेल धीरे धीरे नीचे जा रही है और सुडान की सेल भी नीचे जा रही है। एस यु वि सेल्ल आगे बढ़ रही है तो उसी प्रकार से यहाँ एंटी लेवल कम हो रहा है और वहाँ एस यु वि बिक्री है। यहाँ प्रीमियम बाइक है बिक्री और ये जो सेंटीमेंट चेंज हुआ है सेंटीमेंट का असर देखना 250 सी सी से ऊपर की जो बाइक है पहले 2011- 12 के आस पास मात्र 1% बिका करती थी यानी ओवरआल 1,00,000 बाई के बिका करती थी। आज इसका जो टोटल मार्केट चेयर है वो 8% है। पिछले 10 साल में आठ गुना हो गया है। यानी आज की डेट में 8,00,000 प्रीमियम बाइक है। अट्ठाइस 100 सी सी से ऊपर की बिकती है। अब इतना बड़ा मार्केट है अच्छा। पहले जब 1,00,000 गाड़ी बिकती थी तो इग्नोर कर दिया हीरो ने बजाज ने हार्ले ने क्या बेचना छोड़ो रे छोटा मार्केट है लेकिन 8,00,000 गाड़ियां जो साल की बिकती हो कौन छोड़ेगा ऐसे मार्केट को तो इसी चक्कर में हीरो और बजाज ये चाहते है की भैया हम इस प्रीमियम बाइक साग में एंटी करें।
क्यों जाते है पहला कारण ये चाहते अपने पोर्टफोलियों को दे रिस्क कर दे।
पोर्टफोलियों डी। रिस्क करने का मतलब तुम किसी मार्केट की ऑलरेडी लीडर हो लेकिन वो मार्केट लीडर बनके क्या करते होगे? तुम एंटी लेवल के सिरमौर हो रहा, मैसेज वाला कोई बनाता ही नहीं बट भाई आज कल कोई लेता भी तो नहीं तो इसमें पड़े रहोगे तो मर जाओगे तो उसको डिश करने के लिए यहाँ से हट रहे और एक नए मार्केट तलाश रहे। दूसरा जब आँखों के सामने दिख रहा है की एक मार्केट 1,00,000 से 8,00,010 साल में पहुँच गया और ये आठ से 16 जाएगा। 24 जाएगा तो इतने बड़े मार्केट में क्यों ना जाए?
तीसरा दी मोस्ट इम्पोर्टेन्ट की आज जो बंदे ने इनकी स्प्लेंडर ली है, दो 5 साल में वो भी कमाएगा, उसके पैसे बढ़ेगे, वो उससे अपग्रेड की बाइक पे जाएगा। अब वो तुम्हारा लॉयल यूज़र है और तुम्हारे पास देने को कुछ है ही नहीं। तो यार अपने यूज़र को अपग्रेड करने के लिए भी तो कुछ देना है इसलिए ये प्रीमियम सेगमेंट में जा रहे हैं। अब इनके हाथ में क्या है की भैया कम करते हैं, खुद का प्रीमियम बैग लॉन्च कर देते हैं. बट इनकी चलती नहीं. बजाज ने देखो के टीमएम लॉन्च किया. ठीक-ठाक बिक्र रही है पर बहुत बड़ा हल्ला नहीं है बाजार में. होा. तीन सौ लॉन्च की थी. भैया चली ना. इंडियन स्टार्टअप था कासिक ली उसने महिंद्रा के सपोर्ट से बाइक लॉन्च की जावा तो जब उसकी डिमांड आई तब तो प्रोडक्शन औरंप इशू ए गए. और जब ये इशू सॉल्व हुए है तब तक तो डिमांडी चली गई और रॉयल एनफील्ड ने अपना गढ़ छोड़ा ही नहीं है भाई साहब. तो जब कमन ने रिसर्च की तुम उनको समझ में आया भैया हमारी इमेज ही ऐसी बन गई है कि हम तो छोटी सस्ती गाड़ियां है. हम महंगी गाड़ी बेचने जाएंगे. कोई लेगा ही नहीं. ये वही वाली बात है की भैया मारुति. पंद्रह लाख की भी गाड़ी बेचेगी तो बोलेंगे मारुति पंद्रह लाखध तोहाराड़ी लेगी. तो मारुति को नेक्स सा निकलना पड़ा.
उसी प्रकार इन्होंने कहा हमारे नाम पे. तो हमें प्रीमियम बाइक में कोई पैसे देना रहा कुछ और ही करना पड़ेगा. क्योंकि ये जो प्रोडक्ट है दौ सौ से ऊपर वाले ये बिकते हैं ब्रांड वैल्यू के की भैया बंदे को बाइक पे फुल आना. भाई साहब पता क्या चला रहा हूं. मैं रॉयल एंड फील्ड चला रहा हूं. यह जो ब्रांड की पावर है और एस्प्रेशन वैल्यू. आपके मन में सपना था कि मैं लद्दाख किीयों में घुमंगा. स्प्लेंडर पे. ये सपना थोड़ी आता है, सपना तो ये आता है रॉयल एंड फील्ड का तो एस्प्रिरेशन का वैल्यू हीरो बजा मेंदी है. तो इन्होंने कहा अपने दब्बब्बे तो अपने से बात बैठे की नहीं बड़े लोगों से टाइप करना पड़ेगा. हीरो ने बात कारी भैया हर लेन से की भाई साहब रहे हो क्या तो हीरो हर लेने मिलके एक नई बाइक लॉन्च की x चाली.
उसके बाद बजाज बात की यूके टूटर से और उसके साथ मिलकर बाइक लॉन्च की स्पीड फंड ऐसा करने से इंडियन कंपनी को बेनिफिट क्या है? पहला उनकी इमेज इंप्रूव हो गई कि यार हीरो छोटी-मोटी कंपनी की भैया सेप किया है तो एक तो इमेज अपग्रेड होगी. दूसरा प्रीमियम में अगर इमेज ग्रेड हुई है तो जो मिड लेवल का सेगमेंट है वहां भी भी थोड़ा बहुत बेनिफिट मिलेगा. प्लस इनका जो यूजर है लॉयल यूजर इन्होंने एंट्री लेवल से पकड़ रखा है इसको भी दो ऑप्शन दे पाएंगे. एक सवाल है की इंडियन कंपनी को तो फायदा था उनको तो करना था ट. फौररेन कंपनी क्यों मानणि हर ले बेच रही है सस्ता प्राइम क्यों सस्ता. तो एक बार मार्केट शेयर भी नजर डालो. सीसी से ऊपर की गाड़ियों का मार्केट शेयर में रॉयल एरील्डता है तिरानवे प्रतिशत गाड़ियां. सेकंड नंबर प. होंडा आता है चार प्रतिशत गाड़ियों के साथ यह टाइम मैटर जिसने टाइप किया. इसका इंडियन मार्केट शेयर है पॉइंट चौदह और हर तो इसका मतलब देसी भाषा में समझो ना. दस हज़ार बाइक अगर बिकती है दौ सौ पचास सीसी से ऊपर वाली, उसमें नौ हज़ार तीन सौ बिकती है रॉयल एनफील्ड. उसके बाद जो उसमें चार सौ ब होंडा और चौदह व्यक्ति है आपकी ट्राइम फटर और चारती हर लेवि क्या करेगांदा.
अब आप बोलेंगे सर इंडियन यूजर का तो फायदा था. इनका क्या फायदा था ?
आपको समझ में ए गया की भैया इनकी गाड़ियां बिक नहीं रही थी और गाड़ियां ना बिकने का सीधा सा कारण था भैया. ये बहुत नचे मार्केट में खेलते हैं और सुपर प्रीमियम नहीं ये लग्जरी सेगमेंट की गाड़ियां है. आप समझिए हरर्लेट डिविन का जो पोर्टफोलियो है एक दशमलव लाख से लेकर चालीस लाख तक की बाइक भेजचता है वो और आपका जो टाइम फर है उसका portfoliो आठ लाख से लेकर बाईस लाख तक की बाइक बेचता है. मकान लेते इंडिया वाले. यह ट्राइम के चक्कर में तरा घर जांगा. तो ये भी चाहते द की भैया हमारे पास क्या मार्जिन बहुत अच्छा होगा. लेकिन वॉल्यूम बहुत कम है यार पूरे महीने में एक गाड़ी दो गाड़ी बेचकर थोड़ी कम चलेगा. तो इन इंडिया में वॉल्यूम चाहिए. इंडिया मार्केट में कोई छोड़ नहीं सकता. वॉल्यूम चाहिए तो भैया प्राइस पे कम करना पड़ेगा. तो इन्होंने कहा प्राइस पे कम करना है तो उन्हें के साथ करो जो प्राइस के मास्टर है प्लस इन्होंने कहा हीरो और बाजार से टाइप कर के हमको लोकल रीिच बहुत मिल जाएगी. डिस्रिब्यूशन बहुत मिल जाएगा. इतनी बड़ी डीलरशिप हमारी दुकान आएगी. हम देश के कोने-कोने तक फ जाएंगे. तो जब हीरो और इनका दोनों का फायदा था तो भैया फिर तो चोर चोर मुरे भाई होते ना. दौ सौ पचास सीसी से ऊपर मार्केट में तिरानवे प्रतिशत मार्केट शेयर है वो जो टोटल अठारह प्रतिशत प्रीमियम था ना एक सौ पचास सीसी ऊपर वाला उसे सेगमेंट की चालीस प्रतिशत गाड़ी बेचता खेला तीस प्रतिशत मार्जिन है जो की आसपास किसी का भी नहीं. रॉयल एनफील्ड ने किया तो किया कैसे.? रॉयल एनफील्ड ने क्या किया?
सबसे पहली बात इन्होंने प्रीमियम
साल में ये दोनों कैसे परफॉर्म करती है इस प इंपैक्ट पड़ेगा. ठीक अगर इस गाड़ी को.युवाओं ने, जैसे सपोज मैंने. इस गाड़ी को माना यार मेरे को ढाई लाख में हर की गाड़ी चलाने को मिल रही है तो यह सेगमेंट उठ जाएगा. और अगर युवा को ऐसा लगा रे को की हार ले. हर ले तो हर ले होती है. यह तो हीरो ने नाम जोड़ के हीरो जैसा ही कुछ बना दिया. तो फिर ये चीज नहीं चलेगी.
इसको लेकर जो हर लेकर डियहार्ट फैन है, जिन्होंने दस लाख, पंद्रह लाख खर्च करके हरले की गाड़ियां ली. सोशल मीडिया पर कैंपेन चला रहे हैं हीरो बजाज के अगेंस्ट की. भैया. तुम लोगों ने तो इन प्रीमियम गाड़ियों के हाथ ही मार दी. ये क्या कर दिया बीच में. तो अगर ये वाली फीलिंग स्ट्रांग हो गई तो फिर यह नहीं चलेगा. अगर इसको दुनिया ने हीरो का एक्सटेंशन माना तो नहीं चलेगा और दुनिया ने इसको माना नहीं हा ले तो फिर यह चल सकता है.
दोनों ही केस में पता पड़ेगा मैं आगे जाकर क्या होता है. लेकिन रॉयल एनफील्ड की गद्दी पाँच दस साल तक नहीं है लेकिन गारंटी है. लेकिन रॉयल एनफील्ड को एक चैलेंज तुरंत ए जाएगा. वो है प्राइसिग चैलेंज. भैया उसकी डेढ़ दौ लाख की रेंज में गाड़ी चालू होती है और हार् ले और ट्राइम जैसी गाड़ियां भी दो ढाई लाख की रेंज में आ गई है तो यह कंफर्टेबly अपने प्राइस नहीं बढ़ा पाएगा और प्राइस औरर चलेगा क्योंकि अगर इसने प्राइस बढ़ा के दौ की सवाह कर दी तो जनता सोचेगा ये दौ हज़ार पच्चीस लगा के वही ट्राई कर लेते. एक बार तो प्राइस वाॉर में थोड़ा सा फंस गए तो जो प्राइस छोटी गाड़ में देखते थे साठ सत्तर हजार के सेगमेंट में कि तती हज़ार ऊपर नीचे के चक्कर में और प्रेफरेंस बदल जाती थी.